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नज़्म
राजा मेहदी अली ख़ाँ
नज़्म
इक़बाल सुहैल
नज़्म
अगर दावत हो खाने की तो इस में सोचना क्या है
नहीं गर ये ख़ुदा की देन तो इस के सिवा क्या है
ग़ौस ख़ाह मख़ाह हैदराबादी
नज़्म
अगर दावत हो खाने की तो इस में सोचना क्या है
नहीं गर ये ख़ुदा की देन तो इस के सिवा क्या है